चीन के तियानजिन में आज (2 सितंबर 2025) आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की। SCO के 10 सदस्य देशों ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की।

इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी।

एससीओ ने घोषणा-पत्र में कहा

एससीओ ने तियानजिन घोषणापत्र में कहा गया, सदस्य देश 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं। वे मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं और हमले के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग करते हैं। भारत के इस रुख से सोमवार को सहमति जताई कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ‘दोहरे मानदंड’ अस्वीकार्य हैं। इस प्रभावशाली समूह ने चीनी बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित अपने 2 दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन के अंत में जारी एक घोषणापत्र में आतंकवाद से लड़ने के अपने दृढ़ संकल्प को सूचीबद्ध किया है।

विश्व के कई नेताओं ने लिया भाग

इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विश्व के कई अन्य नेताओं ने भाग लिया। एससीओ ने कहा कि वह आतंकवादी और चरमपंथी खतरों का मुकाबला करने में संप्रभु देशों और उनके सक्षम प्राधिकारियों की अग्रणी भूमिका को मान्यता देता है।

भारत की कूटनीतिक रणनीति

इससे पहले 26 जून 2025 को क्विंगदाओ में SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहलगाम हमले का जिक्र न होने के कारण संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। उस समय चीन और पाकिस्तान ने हमले को शामिल करने का विरोध किया था। तियानजिन समिट में सभी देशों द्वारा हमले की निंदा भारत की कूटनीतिक दृढ़ता का परिणाम है। यह भारत की उस नीति को दर्शाता है कि आतंकवाद और शांति एक साथ नहीं चल सकते है।

सैन्य हमलों में इजराइल की निंदा

एससीओ सदस्य देशों ने गाजा में इजराइल द्वारा किए गए सैन्य हमलों में बड़ी संख्या में आम लोगों के हताहत होने और गाजा पट्टी में भयावह मानवीय स्थिति पैदा होने के कारण इन हमलों की निंदा की। घोषणा-पत्र में कहा कि सदस्य देशों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बहाल करने, वैश्विक उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता बनाए रखने तथा सतत विकास सुनिश्चित करने में एससीओ की भूमिका पर ध्यान दिया। एससीओ की यह पुष्टि ट्रंप प्रशासन के शुल्क विवाद के बीच आई है।

घोषणा-पत्र में कहा गया

घोषणा-पत्र में कहा गया कि सदस्य देश वैश्विक आर्थिक प्रशासन संरचना में और सुधार का समर्थन करते हैं। खुली, पारदर्शी, निष्पक्ष, समावेशी, गैर-भेदभावपूर्ण और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को निरंतर बनाए रखेंगे और मजबूत करेंगे। घोषणापत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने के तरीकों का उल्लेख किया और आतंकवाद से मुकाबले को एक बड़ी चुनौती बताया गया है। इसमें कहा गया, ”सदस्य देश 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं।

आतंकवादी हमलों की निंदा

एससीओ के सदस्य देशों ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में खुजदार और जाफर एक्सप्रेस पर हुए आतंकवादी हमलों की भी निंदा की। घोषणापत्र के अनुसार, ”उन्होंने (सदस्य देशों ने) हताहतों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति एवं संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों के दोषियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।”

एससीओ आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, ”स्वार्थसिद्धि के उद्देश्य’ के लिए आतंकवादी, अलगाववादी और चरमपंथी समूहों का इस्तेमाल करने के प्रयासों की अस्वीकार्यता पर जोर देता है।

सदस्य देश आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा करते हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंड अस्वीकार्य हैं और वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों सहित आतंकवाद का मुकाबला करने का आह्वान करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र की क्या है भूमिका

एससीओ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की इस संबंध में केंद्रीय भूमिका है कि वह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुसार प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति को पूरी तरह से लागू करे ताकि सभी आतंकवादी समूहों का संयुक्त रूप से मुकाबला किया जा सके। एससीओ सदस्य देशों ने जून में ईरान के खिलाफ इजराइल और अमेरिका द्वारा किए सैन्य हमलों की भी कड़ी निंदा की है।

घोषणापत्र में कहा गया कि, परमाणु ऊर्जा अवसंरचना सहित नागरिक लक्ष्यों के विरुद्ध ऐसी आक्रामक कार्रवाइयां, जिनके परिणामस्वरूप नागरिकों की मृत्यु हुई, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और मानदंडों का घोर उल्लंघन है, तथा इस्लामी गणतंत्र ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन है।”

By Ajay Thakur

Ajay Thakur, a visionary journalist and the driving force behind a groundbreaking news website that is redefining the way we consume and engage with news.