गुवाहटी हाई कोर्ट की कोहिमा बेंच ने नागालैंड सरकार के एक फैसले को उलट कर सरकार को बड़ा झटका दिया है. दरअसल उसने राज्य सरकार के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें उसने कुत्तों के वाणिज्यिक आयात, उसके बाजारों, उनके मीट की व्यवसायिक बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था.
न्यायमूर्ति मार्ली वैंकुन की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीते हफ्ते शुक्रवार (2 जून) को यह कहते हुए अपना फैसला सुनाया था कि नागालैंड के मुख्य सचिव ने 4 जुलाई, 2020 को कुत्तों और उनके मांस की बिक्री का जो आदेश पारित किया था वह उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं आता था, लिहाजा उनके आदेश की अदालत के सामने कोई वैधता नहीं रह जाती है.
राज्य सरकार ने लगाया था प्रतिबंध
आज के लगभग तीन साल पहले साल 2020 में राज्य की कैबिनेट में एक आदेश दिया गया था जिसमें उन्होंने राज्य में कुत्तों के मीट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था. लेकिन कोहिमा म्युनिसिपल काउंसिल के तहत कुत्तों का आयात करने और कुत्ते का मांस बेचने के लिए लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों द्वारा याचिका दायर की गई थी, जिसमें प्रतिबंध के कानूनी आधार और अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी गई थी.
अदालत ने कहा कि विचार करने का केंद्र बिंदु यह है कि क्या भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपने अगस्त 2014 को जारी आदेश में अपनी अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है. क्या पशु के मांस में क्या कोई कैटेगरी बताई गई है जिस वजह से सर्कुलर के अनुसरण में नागालैंड राज्य ने 4 जुलाई 2020 की अधिसूचना जारी की थी.
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कुत्तों के मीट का व्यवसाय करता है और कुत्ते के मांस को बेचकर ही अपनी आजीवका चलाता है. हालांकि अपने आदेश में अदालत ने यह भी कहा, कुत्ते के मांस को खाने के लिए सही खानों में से एक नहीं माना जाता है, बावजूद इसके राज्य सरकार का फैसला उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर था.