अंतरिक्ष की रहस्यमयी घटनाओं में उड़न तस्तरियां यानी UFOs (Unidentified Flying Objects) सबसे प्रमुख है। साइंटिस्ट्स वर्षों से इसकी पीछे का रहस्य सुलझाने में लगे हैं।

स्पेस में एलियंस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए स्पेस एजेंसी नासा एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। दावा किया जा रहा है कि 2029 तक एलियंस के भेद का पता लगा लिया जाएगा। ऐसे में अमेरिकी वायु सेना के पूर्व कप्तान रॉबर्ट सालास ने यूएफओ से जुड़ी एक घटना का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि यूएस वायुसेना ने एलियंस को मार गिराने के लिए अरबों खर्च कर दिए लेकिन टारगेट की गई यूएफओ को नष्ट नहीं किया जा सका।

अमेरिकी वायु सेना के पूर्व कप्तान रॉबर्ट सालास ने 24 मार्च, 1967 को यूएस न्यूक्लियर मिसाइल बेस पर हुए कथित एलियंस के हमले की बारे में अहम दावा किया। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि 24 मार्च, 1967 परमाणु मिसाइल बेस पर एक रोशनी देखी गई थी। सालास ने नेशनल ज्योग्राफिक के शो में इस बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस वक्त यूएफओ की मौजूदगी की पता चलते ही बेस पर इमर्जेंसी के हालत हो गए।

घटना का जिक्र करते हुए बर्ट सालास ने ने कहा, ” न्यूक्लियर मिसाइल बेस में शाम के वक्त कई बार गार्ड का फोन आता था और वो बाताता था कि आसमान में कुछ अजीब सी लाल-नारंगी रंग की रोशनी दिखाई दे रही है।” सालास ने कहा कि एक दिन गार्ड ने बताया कि ये रोशनी गेट के ठीक ऊपर मंडरा रही है। ये देखा गया कि रोशनी के भीतर एक ठोस अंडाकार वस्तु थी। ऐसे में उसे वायुसेना ने टारगेट किया। करीब पांच मिनट बाद गार्ड ने डर के मारे चिल्लाते उसने अन्य गार्ड्स को सचेत किया और वहां ने निकल जाने को कहा। ऐसे स्थिति में लगा कि बेस पर कोई हमला हुआ है।”

रॉबर्ट सालास ने बताया कि यूएफओ की बेस अंदर मौजूदगी के कारण कंट्रोल रूम की घंटिया बजने लगीं। पूरे बेस एरिया में इमर्जेंसी लागू की गई। यूएफओ को टारगेट करने में बड़ी संख्या में परमाणु मिसाइलों और हथियारों का प्रयोग किया गया। इस घटना के तीन साल बाद, अमेरिकी वायु सेना ने यह कहते हुए अपनी यूएफओ जांच इकाई को बंद कर दिया कि यूएफओ का हवाला देते हुए कोई धमकी या क्षति नहीं हुई थी।

वहीं इससे पहले गैरी हेसल्टाइन की एक पुस्तक (Non-Human, The Rendlesham Forest Incidents: 42 years of Denial) में दावा किया गया था कि अमेरिकी वायु सेना ने ब्रिटेन के ऊपर उड़ते हुए यूएफओ को गोली मार दी थी।

By Ajay Thakur

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