पश्चिमी देशों के साथ बढ़ते तनाव और पिछले 4 महीनों से चल रहे भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच ईरान की करेंसी तबाह हो गई है और देश की करेंसी रियाल, डॉलर के मुकाबले नये रिकॉर्ड पर पहुंच गई है।

रविवार को ओपन मार्केट में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ईरानी करेंसी रियाल, पहली बार 450,000 के स्तर से भी नीचे गिर गई है।



करेंसी के तबाह होने से के बाद ईरान की सरकार के डैमेज कंट्रोल को लेकर उठाए गये सारे कदम फेल साबित हो रहे हैं। इससे पहले, पिछले साल दिसंबर महीने में ईरान सरकार ने सेंट्रल बैंक ऑफ ईरान के पूर्व गवर्नर अली सालेहाबादी को उनके पद से बर्खास्त कर दिया था, जिनके कार्यकाल में ईरान की करेंसी डॉलर के मुकाबले 440,000 के नीचे आ गई थी। वहीं, पिछले एक महीने में ईरान की करेंसी में 10 हजार प्वाइंट का और नुकसान हुआ है और साढ़े चार लाख से भी नीचे आ गई है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी सेंन्ट्रल बैंक का नया गवर्नर मोहम्मद रजा फरज़िन को बनाया गया, जिन्होंने देश की मुद्रास्फीति, जो फिलहाल 40 प्रतिशत से ऊपर जा चुकी है, उसे नियंत्रित करने और डॉलर के मुकाबले ईरानी मुद्रा की वैल्यू को 2 लाख 85 हजार के नीचे लाने की कसम खाई थी, वो भी अभी तक ऐसा करने में नाकाम रहे हैं।

ईरान की स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है और देश में महंगाई चरम स्तर तक पहुंच चुकी है। विदेशों से गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात पर सरकार काफी पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी थी और अब आवश्यक वस्तुओं के आयात पर भी प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। हालांकि, बैंक के नये गवर्नर फरजिन ने शनिवार को कहा, कि “केन्द्रीय बैंक के पास करेंसी और सोने के भंडार की कोई कमी नहीं है और करेंसी में उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण मीडिया प्रचार और समाज में साइकोलॉजिकल ऑपरेशंस हैं।” यानि, उन्होंने ईरानी करेंसी के तबाह होने की बात से इनकार कर दिया है और करेंसी के बर्बाद होने के पीछे देश की जनता को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।

शनिवार को ओपन मार्केट में जैसे ही रियाल के वैल्यू में एक बार फिर से रिकॉर्ड गिरावट आई, ठीक वैसे ही ईरानी सेंन्ट्रल बैंक ने दावा कर दिया, कि इराक में फंसा ईरान का 300 मिलियन यूरो (326 मिलियन डॉलर) अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद प्राप्त हो गया है, जिसे बाजार में इंजेक्ट कर दिया गया है। आपको बता दें, कि ईरान की करेंसी के तबाह होने की सबसे बड़ी वजह अमेरिका द्वारा लगाए गये आर्थिक प्रतिबंध हैं, जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 2018 में एकतरफा खत्म कर दिया था। ईरान और अमेरिका के बीच साल 2015 में परमाणु समझौता किया गया था, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने 2018 में समझौते को रद्द करते हुए ईरान पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए, जिसके बाद ही ईरान की दुर्दशा शुरू हो गई।े

ईरान में पिछले साल सितंबर महीने से हिजाब के खिलाफ आंदोलन किए जा रहे हैं, जिसको लेकर ईरान की इस्लामिक सरकार ने प्रदर्शनकारियों को फांसी देनी शुरू कर दी है, जिसकी पूरी दुनिया में आलोचना की जा रही है। वहीं, पिछले हफ्ते यूरोपीय संसद ने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को एक “आतंकवादी” संगठन घोषित करने के साथ साथ ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनेई, राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी और कुछ अन्य नेताओं पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को भारी संख्या में मंजूरी दे दी है, जो ईरान के लिए बड़ा झटका है।

By Ajay Thakur

Ajay Thakur, a visionary journalist and the driving force behind a groundbreaking news website that is redefining the way we consume and engage with news.