महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर को एक चिट्ठी लिखी है. यह चिट्ठी महाराष्ट्र के राजनीतिक हालातों पर नहीं है, बल्कि एक बच्ची बेबी अरिहा शाह की रिहाई को लेकर है.

बेबी अरिहा शाह पिछले 20 महीने से जर्मनी के फॉस्टर होम में फंसी है. उसके पिता भावेश शाह वर्क वीजा पर जर्मनी में बतौर इंजीनियर काम कर रहे थे. आरोप यह है कि अरिहा जब सात साल की थी, तब उसके डायपर में खून मिला था. डायपर में खून मिलने के बाद से ही जर्मन अधिकारियों ने बच्ची को कस्टडी में ले लिया था. जर्मन प्रशासन ने माता-पिता पर बच्ची के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. हालांकि बच्ची के माता-पिता धारा-भावेश का कहना है कि एक मामूली दुर्घटना में बच्ची को चोट लग गई थी.

फरवरी में पीएम मोदी की जर्मनी दौरे पर भी उठा था मुद्दा

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल फरवरी महीने में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी की यात्रा पर गए थे, तो करीब 25 फरवरी को भी उनके सामने यह मुद्दा उठाया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज की मुलाकात के बाद विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा था कि बेबी अरिहा शाह की हिरासत के मामले पर भारत और जर्मनी के अधिकारी सजग हैं. उन्होंने कहा था कि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है. उन्होंने कहा था कि इस मामले को लेकर बेबी अरिहा के माता-पिता और जर्मन अधिकारियों के संपर्क में हैं. समस्या का जल्द ही समाधान निकल जाएगा.

क्या है मामला?

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बेबी अरिहा के पिता भावेश शाह वर्क वीजा पर जर्मनी इंजीनियर हैं. जब अरिहा सात साल की थी, तब एक दिन उसके डायपर पर खून का धब्बा मिला था. इस घटना के बाद जर्मन अधिकारियों ने बेबी अरिहा को अपनी कस्टडी में ले लिया था. जर्मन प्रशासन ने माता-पिता पर बेबी अरिहा के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. बेबी अरिहा के माता-पिता कहते हैं कि एक मामूली दुर्घटना में बच्ची को चोट लग गई थी. तभी से वे दोनों अपनी लाडली को पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

कहां फंसा पेंच

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बेबी अरिहा शाह की जर्मनी के फॉस्टर होम में दो साल का वक्त अगस्त में पूरा होने वाला है. जर्मनी के कानून के हिसाब से यदि कोई बच्चा दो साल तक फॉस्टर होम में रहता है, तो बच्चे को उसके माता-पिता को वापस को वापस नहीं किया जा सकता. जर्मन कानून की मानें, तो इसका कारण यह है कि फॉस्टर होम से निकलने के बाद बच्चा नई परिस्थितियों और सामाजिक चोट का सामना करने के काबिल नहीं होता. ऐसे में उसे संभालने के लिए खास इंतजाम की जरूरत होती है.

By Ajay Thakur

Ajay Thakur, a visionary journalist and the driving force behind a groundbreaking news website that is redefining the way we consume and engage with news.